लॉरेंस बिश्नोई: सोशल मीडिया पर विवादित हीरो
लॉरेंस बिश्नोई, जो एक कुख्यात गैंगस्टर के रूप में जाना जाता है, हाल के वर्षों में सोशल मीडिया पर एक विवादित 'हीरो' के रूप में उभरा है। अपराध की दुनिया से जुड़े होने के बावजूद, बिश्नोई की लोकप्रियता सोशल मीडिया पर तेजी से बढ़ रही है। इसके पीछे कई कारण और कारक हैं जो उनकी छवि को इस रूप में प्रस्तुत करते हैं।
सोशल मीडिया के दौर में, किसी भी व्यक्ति को प्रसिद्ध या बदनाम करना आसान हो गया है। लॉरेंस बिश्नोई के मामले में, उनके समर्थक और प्रशंसक उनकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं। ये पोस्ट उन्हें एक बहादुर और निडर व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करती हैं। कुछ लोग उन्हें 'आदर्श' मानते हुए उनके अपराधों को अनदेखा कर देते हैं।
मीडिया में बिश्नोई की गतिविधियों की व्यापक कवरेज ने भी उनकी पहचान को मजबूत किया है। उनके द्वारा किए गए अपराध, अदालत में पेशी, और जेल से जुड़े मामलों की खबरें अक्सर प्रमुखता से प्रकाशित होती हैं। हालांकि मीडिया का उद्देश्य जागरूकता फैलाना है, लेकिन इसने अप्रत्यक्ष रूप से उनकी छवि को ग्लैमराइज किया है।
राजस्थान और हरियाणा जैसे क्षेत्रों में, विशेषकर बिश्नोई समुदाय के कुछ हिस्सों में, उन्हें एक 'रॉबिन हुड' की तरह देखा जाता है। उनकी गतिविधियों को सही ठहराने वाले लोग उन्हें एक नायक मानते हैं। यह समर्थन उनकी लोकप्रियता को और बढ़ावा देता है।
कुछ स्वयंभू पत्रकार और राजनीतिक समर्थक लॉरेंस बिश्नोई की छवि को प्रचारित करते हैं। उनका उद्देश्य अपने एजेंडे को आगे बढ़ाना होता है, लेकिन इसका प्रभाव यह है कि बिश्नोई का नाम चर्चा में बना रहता है।
हालांकि, बिश्नोई की छवि को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी बहस होती है। एक ओर उनके समर्थक उन्हें 'हीरो' मानते हैं, तो दूसरी ओर आलोचक उन्हें अपराध का प्रतीक मानते हैं। यह विभाजन उनकी विवादास्पद लोकप्रियता का प्रमुख कारण है।
लॉरेंस बिश्नोई की सोशल मीडिया पर बढ़ती लोकप्रियता एक चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाती है। यह सवाल उठता है कि क्या हमारी युवा पीढ़ी अपराधियों को 'हीरो' मानने लगी है? इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए जरूरी है कि समाज अपराध और न्याय के बीच अंतर को समझे और सही मूल्यों को बढ़ावा दे।